ऐ कोरोना तुझे ज़रा पता नहीं,
वो गए जरूर पर दिल से नहीं ।
# Tribute to Rahat Indori Ji
ऐ कोरोना तुझे ज़रा पता नहीं,
वो गए जरूर पर दिल से नहीं ।
# Tribute to Rahat Indori Ji
बड़े वेबफा निकले वो।
कई वादे तोड़ चले वो।।
कई बरसों से न मिले,
नेता हरामी निकले वो।
कवि – अमित चन्द्रवंशी
#मतदान जरूर करें
वो बरसों बाद हमसे मिले इस कदर ।
कि हमारे बिना उनपे बरसा था कहर।।
वो पैरों से लिपट कर बोले कुछ इस तरह,
मर जायेंगे भैया जो वोट न दिया अगर।।
कवि – अमित चन्द्रवंशी
#मतदान जरूर करें
जिससे मिलने के लिए तरसता था सारा मोहल्ला।
बस एक बार बात करने के लिए हो जाता था हो हल्ला।।
वो आज मिले भी तो बस एक बात ही बोले हमसे,
‘हमें ही वोट देना’ चीख़ चीख़ के बोले वो गल्ला।।
कवि – अमित चन्द्रवंशी
#मतदान जरूर करें
जिसको देखने को तरसे हमारे नैन लगातार।
जिनसे मिलने को जतन किये बार-बार।।
जिसने कई कसमे खाई थी हमारे संग,
वो मिले तो फिर वोट माँग गए एक बार।।
कवि – अमित चन्द्रवंशी
#मतदान जरूर करें
This is an infinite positive energy which motivate us to do our work successfully.
एक अनन्त सकरात्मक ऊर्जा जो हमारे कार्य को फलित करने हेतु निरन्तर हमे प्रोत्साहित करती है और हमे कभी हारने नही देती ।
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By Amit Chandrawanshi
मैं नाहक उसे हमदर्द कहता रहा।
वो पानी मे जहर देके पिलाता रहा।।
और जहर भी उसी की तरह निकला
मिलावटी था वो तकलीफ बढ़ाता रहा।
कमबख्त को जहर की पहचान न थी
और मुझे मेरे नादानी का डर सताता रहा।
न जहर में असर था न पिलाने में कसर थी
पर मुझपर दुआओं का असर मुझे जिलाता रहा।
और मैं पागल खुद को प्यासा समझ बैठा
और उसके जहर से अपनी प्यास बुझाता रहा।
कवि – अमित चन्द्रवंशी
1. अपने भारत से क्यो हो तुम खफा।
सफाई करके तो देखो एक दफा।।
2. बेचारा कहता है कूड़ादान
कचरा डालकर करो मेरा सम्मान।
3. बीमारी दौड़ी आएगी
जो साफ सफाई न पाएगी
4. जब कही भी न कचरा होगा
तब ही तंदरुस्ती पहरा होगा
5. एक बात का रखो ये ध्यान
स्वच्छता का हो अभियान
6. जब कचरा ही कचरा होगा
तब बैठना आपका कहाँ होगा
7. जब कोना कोना साफ रहेगा
तब सुंदर कितना शहर दिखेगा
रचनाकार – अमित चंद्रवंशी
न जात की बात करूँगा, न धर्म की बात करूँगा ।
न गर्व की बात करूँगा, न शर्म की बात करूँगा॥
इंसान होने का वो महान फर्ज बस तुम अदा कर दो,
ला दे जो दुनिया में खुशी, मैं उस कर्म की बात करूँगा ॥
कवि – अमित चन्द्रवंशी
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1.बच्चों को पढ़ाने की लो राह, बंद करो ये बाल विवाह।
2.पढ़ने खेलने की उम्र है, बाल विवाह जुर्म है।
3.क्यों दी बच्चों को सजा, बाल विवाह से लो बचा।
रचनाकार – अमित चन्द्रवंशी
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