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जन्मदिवस मुक्तक(4 line birthday greetings)

1.न खुशियाँ कम हो, न दिन कम हो ।
आपकी जिंदगी में, न कभी गम हो ।।
दुआएँ हैं हमारी, खुशहाल हो जिंदगी प्यारी,
आपके जीवन में, सदा रंगीन मौसम हो।

2.साल हो जायें आपकी जिंदगी के हजार।
खुशियों के दिन हो जाए बेशुमार।।
न हो जिंदगी में आपकी कभी हार,
हार भी हो तो, हो खुशियों का हार।।

कवि – अमित चन्द्रवंशी

मंगलकार्य संदेश (Best Wishes)

शुभकामना संदेश
“जिमि अमोघ रघुपति कर बाना।
एहि भाँति तुम पेपर कर आना॥”

भावार्थ : जिस प्रकार श्री रामजी का अमोघ (अचूक) बाण अपने लक्ष्य को प्राप्त कर के ही रहता है अर्थात् वह कभी अपने लक्ष्य से नही भटकता अपितु किसी भी हाल में वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर के ही रहता है। उसी प्रकार आपको भी अपने लक्ष्य से नही भटकना है और प्रश्नपत्र को यथासंभव हल करने का प्रयास करना है ।अर्थात् आपको अचूक बाण की तरह अपने अचूक उत्तर लिख कर आना है।

संदेश : आपकी अमोघ बाण की भांति तैयारी, आपको हर कार्य को पूर्ण और सही तरीके से करने के लिए प्रेरित करेगी ।जो आपकी कार्य करने की क्षमता को भलिभांति बढायेगी।
आपका कार्य मंगलमय हो! (BEST OF LUCK )

द्वारा – अमित चन्द्रवंशी

Note : लेख रामचरितमानस से प्रेरित है।

धनतेरस मुक्तक

धनतेरस मुक्तकतन   बलिष्ठ   हो  मन  हर्षित  हो ।
सब   मनोंकामनायें  फलित   हो॥
रहे ‘अमित’ यम-धन्वन्तरि आशीष,
खुशी धन दीप सदा प्रज्वलित हो॥

कवि – अमित चन्द्रवंशी

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जन्मदिवस शुभकामनाएँ  (Birthday wishes with Poem)

Birthday Poem By Amit Chandrawanshi

Birthday Poem By Amit Chandrawanshi

🎁˙˙˙noʎ oʇ ʎɐpɥʇɹıq ʎddɐɥ🎂

जन्मदिवस शुभ अवसर पर ,
     लो खुशियाँ उपहार में हर ।
आप जियो साल हजार ,
     नाम  हो  आपका  अपार ।
सबके आशीष पाओ सर,
     आपसे दुखी न होय कोई नर।
खुशियों से भरे घर संसार ,
     न हो जिंदगी में आपकी हार।
बनो आप इतने बड़े फनकार,
     कामयाबी कदम चूमे हर बार।
बन महान छोड़ ऐसा असर ,
     आप  हो  जाओ  सदा  अमर।
धाकड़ अमित‘ की यही पुकार ,
     प्रभु कृपा रहे आप पर बरकरार। 

कवि – अमित चन्द्रवंशी

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रक्षाबंधन  (दोहा)

धाकड़ अमित दोहा :

अति पावन स्नेह बंधन, रक्षा का अनमोल।
भाई – बहन रिश्तों में, और मिठास दे घोल॥

कवि – अमित चन्द्रवंशी

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पिता (दोहा)

धाकड़ अमित दोहा :
निज सुख से पहले रहे, सदैव गृह सुख ध्यान।
पितृ कर्ज से कभी उऋण, न हो सके संतान॥

कवि – अमित चन्द्रवंशी

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नव वर्ष संदेश

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नया वर्ष शुरू हो गया है और क्या आप हर बार यूँ ही नव वर्ष मनाओगे? 
   मैं आपको मात्र विक्रम संवत् २०७२ के नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ही दे सकता हूँ क्योंकि बधाई तो तब देता जब नव वर्ष की शुरुआत बड़े ही उत्तम ढंग से हुई होती ।परन्तु नव चेतना, नव उल्लास, नव समय इत्यादि को लाने वाला जब असमय ही ओलावृष्टि के साथ कष्टदायक पीड़ा को लेकर आगमन करे तब कदाचित आप इसे सुखद नहीं कह सकते । नव वर्ष सदैव खुशियों को लाने वाला है पर उसके रंग में भंग उत्पन्न करके आपने सारा स्वरूप बिगाड़ दिया है । अब जिम्मेदारी आपकी ही है कि इस शुभ अवसर पर संकल्प लें और इस संसार के विनाश के कारकों को ठीक उसी प्रकार निकाल फेंकिए जिस प्रकार एक तपस्वी संसार की मोह माया को निकाल फेंकता है । 
      आपके पापों का फल अकेले अन्नदाता ही को क्यों चुकाना पड़े । आप पर तो ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा परंतु जिसने दिन रात मेहनत की है उसके हृदय का हाल तो पूछिए, मानो मंदराचल के शिखर से उसके उर को विदीर्ण कर दिया गया हो । लेकिन अभी नहीं तो शीघ्र ही आपको इसका परिणाम भुगतना होगा । प्रदुषण को बढ़ाने के आप वो सारे कृत कर रहे हो जिन्हे आप को नहीं करना चाहिए था बल्कि आप को वृक्षों को अधिक से अधिक संख्या में लगाना चाहिए था पर आप तो इसके विपरीत कर्म कर रहे हो।
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