बड़े वेबफा निकले वो।
कई वादे तोड़ चले वो।।
कई बरसों से न मिले,
नेता हरामी निकले वो।
कवि – अमित चन्द्रवंशी
#मतदान जरूर करें
बड़े वेबफा निकले वो।
कई वादे तोड़ चले वो।।
कई बरसों से न मिले,
नेता हरामी निकले वो।
कवि – अमित चन्द्रवंशी
#मतदान जरूर करें
वो बरसों बाद हमसे मिले इस कदर ।
कि हमारे बिना उनपे बरसा था कहर।।
वो पैरों से लिपट कर बोले कुछ इस तरह,
मर जायेंगे भैया जो वोट न दिया अगर।।
कवि – अमित चन्द्रवंशी
#मतदान जरूर करें
जिससे मिलने के लिए तरसता था सारा मोहल्ला।
बस एक बार बात करने के लिए हो जाता था हो हल्ला।।
वो आज मिले भी तो बस एक बात ही बोले हमसे,
‘हमें ही वोट देना’ चीख़ चीख़ के बोले वो गल्ला।।
कवि – अमित चन्द्रवंशी
#मतदान जरूर करें
जिसको देखने को तरसे हमारे नैन लगातार।
जिनसे मिलने को जतन किये बार-बार।।
जिसने कई कसमे खाई थी हमारे संग,
वो मिले तो फिर वोट माँग गए एक बार।।
कवि – अमित चन्द्रवंशी
#मतदान जरूर करें
गलती किस से नहीं होती मैं भी एक इंसान हूँ।
हड़बड़ी हो गई मुझसे नहीं कोई शैतान हूँ॥
माफ करना मुझे इस गलती के लिए अब नहीं होगी,
कोशिश करूँगा फिर न हो मैं थोड़े ही कोई भगवान हूँ॥
कवि – अमित चन्द्रवंशी
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मुक्तक :
जैसे पपीहा* रहे प्यासा उस वक्त के लिए।
जैसे दुश्मन रहे प्यासा उस रक्त के लिए॥
वैसे ही धन प्यास ऐसी कि बुझाये से भी न बुझे;
जैसे नेता खड़ा पिपासा उस तख्त के लिए॥
रावण का क्या हाल था, कैसे वो बतलाय।
सब कहते थे राम भज,अपना कोइ न पाय॥
अपना कोइ न पाय,तब सब को वो डराता।
बताये नीति बात , अरु वीरों को लड़ाता॥
कहे ‘अमित‘ कविराय,वीरों का था बहाना।
रावण से तो दूर, शुभ राम हाथ मर जाना॥
साधु
साधु नाम आज उसका पड़ा ।
जिसका ढोंग आज सबसे बड़ा ॥
बढ़ा के दाढी बना के जटा ,
लगा तिलक और भगवा कपड़ा।