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मार्कशीट के नंबर…

मार्कशीट के नंबरों से क्या तू मेरा कद आंकेगा ।
पढ़ाई में नहीं पर स्कूल में मेरा जलवा पाएगा।।
नंबरों का क्या है ऊपर नीचे होते रहते हैं जनाब,
जिंदगी के सफर में मेरा हुनर ऊंचाई दिलाएगा।।

कवि – अमित चन्द्रवंशी

वो गए जरूर पर दिल से नहीं…

ऐ कोरोना तुझे ज़रा पता नहीं,
वो गए जरूर पर दिल से नहीं ।

🖋️ अमित चंद्रवंशी

# Tribute to Rahat Indori Ji

भगवान कौन हैं ?

Who is God ?

This is an infinite positive energy which motivate us to do our work successfully.

भगवान कौन हैं ?

एक अनन्त सकरात्मक ऊर्जा जो हमारे कार्य को फलित करने हेतु निरन्तर हमे प्रोत्साहित करती है और हमे कभी हारने नही देती ।

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By Amit Chandrawanshi

मंगलकार्य संदेश (Best Wishes)

शुभकामना संदेश
“जिमि अमोघ रघुपति कर बाना।
एहि भाँति तुम पेपर कर आना॥”

भावार्थ : जिस प्रकार श्री रामजी का अमोघ (अचूक) बाण अपने लक्ष्य को प्राप्त कर के ही रहता है अर्थात् वह कभी अपने लक्ष्य से नही भटकता अपितु किसी भी हाल में वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर के ही रहता है। उसी प्रकार आपको भी अपने लक्ष्य से नही भटकना है और प्रश्नपत्र को यथासंभव हल करने का प्रयास करना है ।अर्थात् आपको अचूक बाण की तरह अपने अचूक उत्तर लिख कर आना है।

संदेश : आपकी अमोघ बाण की भांति तैयारी, आपको हर कार्य को पूर्ण और सही तरीके से करने के लिए प्रेरित करेगी ।जो आपकी कार्य करने की क्षमता को भलिभांति बढायेगी।
आपका कार्य मंगलमय हो! (BEST OF LUCK )

द्वारा – अमित चन्द्रवंशी

Note : लेख रामचरितमानस से प्रेरित है।

Protected:   श्रीराम जी भी मनाते थे दीपावली

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दीप दीप दीपावली

श्री रामजी जिस दिन लौटे थे अयोध्या नगरी ।
जनता खुशी से नाच उठी थी उस पल सबरी ॥
नगर-नगर ग्राम-ग्राम हर घर-घर दीप जला ।
खुशी दौर नभ थल जल पाताल धरा स्वर्ग चला॥

उठा हर घर-घर चमक बुराई सारी मिट गई ।
नव रंग अब छाने लगा धरा मंगलमय भई ॥

देव नर मुनि जीव-जड़ सब झूम खूबहि उठही ।
बाल -युवा- वृद्ध -पंछी सब प्रभु गुणगान गावही ॥

तरु -फूल -फल- पानी- शाखा -जड़ प्रभु नाम जपही ।
मधुर स्वर हर कण- कण से पल- पल फूटन लगही ॥

शीतल सुगंधित मंद पवन सुख रस इत-उत बहावहीं।
नभ घन वसन पहन दे शीतलता छाया अति बनावहीं॥

हर घर -घर गली -गली फैले दीप दीप दीपावली ।
रौनकता -चहलता -नवीनता उमंग हवा जगह- जगह चली ॥

आनंदमय -मंगलमय -रसमय पावन वातावरण दिशि- दिशि समाही ।
दिवस कार्तिक मास अमावस्या अमित खुशहाली प्रकाश देत गवाही ॥

कवि – अमित चन्द्रवंशी

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