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मंगलकार्य संदेश (Best Wishes)

शुभकामना संदेश
“जिमि अमोघ रघुपति कर बाना।
एहि भाँति तुम पेपर कर आना॥”

भावार्थ : जिस प्रकार श्री रामजी का अमोघ (अचूक) बाण अपने लक्ष्य को प्राप्त कर के ही रहता है अर्थात् वह कभी अपने लक्ष्य से नही भटकता अपितु किसी भी हाल में वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर के ही रहता है। उसी प्रकार आपको भी अपने लक्ष्य से नही भटकना है और प्रश्नपत्र को यथासंभव हल करने का प्रयास करना है ।अर्थात् आपको अचूक बाण की तरह अपने अचूक उत्तर लिख कर आना है।

संदेश : आपकी अमोघ बाण की भांति तैयारी, आपको हर कार्य को पूर्ण और सही तरीके से करने के लिए प्रेरित करेगी ।जो आपकी कार्य करने की क्षमता को भलिभांति बढायेगी।
आपका कार्य मंगलमय हो! (BEST OF LUCK )

द्वारा – अमित चन्द्रवंशी

Note : लेख रामचरितमानस से प्रेरित है।

नवोदय चालीसा

॥श्री गणेशाय नमः॥

दोहे:

सपना था राजीव का, बने एक संस्थान।
प्रतिभावान छात्रजन, पायें जिसमें ज्ञान॥1॥
शिक्षा पायें यहाँ पर, गुणी बालक गरीब।
बच्चें रक्षा कर सकें, बन भारत की नींव ॥2॥

चौपाई :

हर बच्चा शिक्षित जब होगा।
भारत विकसित तब ही होगा॥1॥
भारत तब नवोदय करेगा ।
जब हर ईक बच्चा पढ़ेगा ॥2॥

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मंगलकर्ता विघ्नहर्ता (दोहा)

Shree Ganesha Doha by Amit Chandrawanshiधाकड़ अमित दोहा :

मंगल करण विघ्न हरण, करें आपका ध्यान ।
प्रथम आरती आपको, हो पूरण वरदान॥

कवि – अमित चन्द्रवंशी

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रक्षाबंधन  (दोहा)

धाकड़ अमित दोहा :

अति पावन स्नेह बंधन, रक्षा का अनमोल।
भाई – बहन रिश्तों में, और मिठास दे घोल॥

कवि – अमित चन्द्रवंशी

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गुरु (दोहा)

धाकड़ अमित दोहा :

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गुरु बिन ज्ञान शून्य जगत,गुरु विश्व ज्ञानखान।
असंभव से संभव सब, पाया जो गुरु ज्ञान॥

कवि – अमित चन्द्रवंशी

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पिता (दोहा)

धाकड़ अमित दोहा :
निज सुख से पहले रहे, सदैव गृह सुख ध्यान।
पितृ कर्ज से कभी उऋण, न हो सके संतान॥

कवि – अमित चन्द्रवंशी

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भ्रष्टाचार (छंद)

पानी की कमी(दोहा)

धाकड़ अमित दोहा :

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अमित नीर चहुँ ओर था, खूबहि दियो बहाय।
भू जलहि खत्म होय जो, तब मानव पछताय॥

कविअमित चन्द्रवंशी

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सूखा पेड़ (कुण्डलिया)

कुण्डलिया :

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खड़ा हुआ था मुस्कराता, हरा भरा वो पेड़।
गंजा मालूम वो पड़े, किसने की ये छेड़॥
किसने की ये छेड़, महंगी बहुत पड़ेगी।
जो सजा दीन आज, उससे बदतर मिलेगी॥
कहे ‘अमित‘ कविराय, बिन पेड़ जीवन उखड़ा।
तरु है धरा जान, न त मौत द्वार तू खड़ा॥

कविअमित चन्द्रवंशी

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माँ (दोहा)

धाकड़ अमित दोहा :

ममता दामन न छोड़े, माँ करूणाधाम।
भल संतान हो कैसी, दुख सह बनाय काम॥

कविअमित चन्द्रवंशी

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नव वर्ष संदेश

माँ (कविता)

माँ

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माँ बिन जग सूना दुख दूना।
घर ने सदैव हमको भूना॥

माता का पग चमत्कारिक कर।
चमकाता हर दम द्वार घर॥

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