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बड़े वेबफा निकले वो

बड़े वेबफा निकले वो।
कई वादे तोड़ चले वो।।
कई बरसों से न मिले,
नेता हरामी निकले वो।

कवि – अमित चन्द्रवंशी

#मतदान जरूर करें

वो बरसों बाद हमसे…(शायरी)

वो बरसों बाद हमसे मिले इस कदर ।
कि हमारे बिना उनपे बरसा था कहर।।
वो पैरों से लिपट कर बोले कुछ इस तरह,
मर जायेंगे भैया जो वोट न दिया अगर।।

कवि – अमित चन्द्रवंशी

#मतदान जरूर करें

मिलने को तरसा सारा मोहल्ला… (शायरी)

जिससे मिलने के लिए तरसता था सारा मोहल्ला।
बस एक बार बात करने के लिए हो जाता था हो हल्ला।।
वो आज मिले भी तो बस एक बात ही बोले हमसे,
‘हमें ही वोट देना’ चीख़ चीख़ के बोले वो गल्ला।।

कवि – अमित चन्द्रवंशी

#मतदान जरूर करें

जिसको देखने को तरसे… (शायरी)

जिसको देखने को तरसे हमारे नैन लगातार।
जिनसे मिलने को जतन किये बार-बार।।
जिसने कई कसमे खाई थी हमारे संग,
वो मिले तो फिर वोट माँग गए एक बार।।

कवि – अमित चन्द्रवंशी

#मतदान जरूर करें

नेता खड़ा पिपासा तख्त के लिए (मुक्तक)

मुक्तक :

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जैसे पपीहा* रहे प्यासा उस वक्त के लिए।
जैसे दुश्मन रहे प्यासा उस रक्त के लिए॥
वैसे ही धन प्यास ऐसी कि बुझाये से भी न बुझे;
जैसे नेता खड़ा पिपासा उस तख्त के लिए॥

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