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नशे की लत (Poem : Nashe ki lat)

केवल ‘ट्राय’ के लिए उसे होंठों से लगाना।
और चाहते हुए भी फिर उसे ‘बाय’ न कह पाना॥

या वो शौक ही शौक में पहला कश लगाना।
और अब उस शौक के शोक में तड़फड़ाना।
सब याद है मुझे इस तरह अपना बजूद गंवाना।
मुझे सब याद है कि किस तरह खुद को मिटाया।
और कैसे धीमे धीमे उस दुखदायी मौत को बुलाया ॥    

हम उसे पीये और वो हमें पीये, इस तरह किया छलनी सीना।
जारी रखा ‘स्टेटस’ फिल्मी,और बीमारियों के संग जीना। 
बड़ी शान से सिगरेट या तम्बाकू पान करके।
बात हो जाती है अपनी कुछ निराली सबसे हटके। 
वो आज की लड़कियाँ भी कहाँ हैं भला पीछे।
पार्टियों की मौज मस्ती में वो भी कश खीचें। 

एक अलग ही अंदाज है अमीरी दिखाने का।
इलाज कराके भी फिर दर्द भुगतने का। 
वो बंदा ही क्या जो तम्बाकू न पीये।
और जवानी से पहले ही बुढ़ापा न जीये। 
वो बात ही अलग उसके लिए तड़पना।
कि उसके बिना मुश्किल हो कुछ करना। 
वो गले का सूखना कहीं भी न मन लगना।
और नित्यकर्मों के भी न हो सकना। 
वो सिगरेट में आग लगा के, फेफड़ों को जलाना।
और धुएँ के छल्ले उड़ा के, पैसों को उड़ाना। 

कश लगाकर वो जहर हवा में घोलना।
और अपने करीबियों को बीमारियों की तरफ धकेलना। 
कोई गम हो भूलाना या कोई जश्न मनाना।
सिगरेट शराब के बिन अधूरा महफिल जमाना।
धाकड़ अमित ” ये नशा है बड़ी नाश करने वाली बला।
इससे बचकर रहने में ही है बड़ा भला।।

कवि – अमित चंद्रवंशी

दोस्ती कविता (Dosti Poem)

दोस्ती ही तो है जो जिंदगी के एक रंग में भी कई रंग दिखाती है।
वरना बिना दोस्तों के रंगीन जिंदगी भी बेरंग सी नजर आती है॥

सच्ची दोस्ती से बढ़कर इस दुनिया में कुछ कहाँ है।
एक भी दोस्त अगर सच्चा है तो अपना सारा जहाँ है॥

जो दोस्त साथ हो तो डर किस उड़ती चिड़िया का नाम है।
मस्त मस्ती में बस हर दम खिलखिलाने का तब काम है॥

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वो नाराज है मुझसे…

आज न जाने कितने बरसों के बाद,
कुछ लिखने का ख्याल आया अकस्मात।
तब मेरे कदम गए उस मेज की ओर,
जहाँ रचनाओं की नित होती थी भोर।
पर जब गया मैं उस मेज पर,
तब वो मेज बोली बड़ी चिढ़कर।
हम रोज तिल तिल कर अपमानित होते रहे हैं,
और तुम्हारी उपेक्षा भरी निगाहों से खोते रहे हैं।
एक बार तो कम से कम हाल पूछ लेते हमारा,
न रोज न महीने में बस एक साल में सारा।

तब लगा मेरे दिल को कि वो नाराज है मुझसे।
इतना कि अब तो बात नहीं हो सकती उससे॥

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आजकल के बच्चे(कविता)

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आजकल के बच्चों को नहीं चाहिए खिलौने।
हो गए हैं वो आजकल बहुत ज्यादा ही सयाने॥

वो बात हुई पुरानी जो बच्चों की जिद थी अनूठी।
अब तो ऐसी-ऐसी जिदे हैं जो न हो सके झूठी॥

पहले कहता था बच्चा चाँद मुझे ला दो।
अब कहता है मुझे iPhone 7 दिला दो॥

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